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ईमानदार सिस्टम का एक डेमो और समर्थन

8141277555 को पहला एस.एम.एस. भेजें इस प्रकार
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*abc1234567*
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(मतलब दो * के सिम्बल के बीच में abc1234567 लिखना है और भेजना है)
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उसी नंबर को दूसरा एस.एम.एस भेजें इस प्रकार -
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TCP
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आपका भेजा समर्थन अपंजीकृत पेज पर आएगा (आपके मोबाइल के अंतिम 5 अंक दिखेंगे) ; अपंजीकृत पेज का लिंक है – smstoneta.com/apanjikrit
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यदि आप इस सिस्टम का समर्थन करना चाहते थाई, तो आप घर जा कर उसी नंबर को एक और एस.एम.एस भेजें
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*मतदाता-कार्ड-संख्या*
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उदाहरण *GDH653091*
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support@smstoneta.com पर ई-मेल भेजें जिसमें आपका वोटर नंबर, मोबाइल नंबर लिखा हो जिसको आप साईट, smstoneta.com पर पंजीकृत करवाना चाहते हैं और आपकी वीडियो पंजीकरण हेतु विनती हो या हमसे संपर्क करें |
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ये तीन स्टेप करने पर आपकी वोटर आई.डी. के साथ राय इस लिंक पर दिखेगी – smstoneta.com/tcp
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1. आज के कानूनों का एक सामान्य ढांचा और वर्तमान कानूनों का कैसे दुरुपयोग होता है

2. ईमानदार और भ्रष्ट कानून

3. एक ईमानदार सिस्टम का एक डेमो... 6

4. आज का भ्रष्ट कोर्पोरेट-आधीन सिस्टम.. 9

5. प्रजा अधीन सिस्टम (नागरिकों के प्रति सीधे जवाबदारी). 11

6. भा.ज.पा., आप., कांग्रेस और अन्य पार्टियां ऐसे सिस्टम की विस्तृत जानकारी का बढ़ावा क्यूँ नहीं करतीं ?.. 13

7. जनता की कोई भी मांग को लागू करने के लिए, तीन तत्वों की जरुरत है - - 14

7.1  जनता की स्पष्ट मांग. 16

7.2  जनसमर्थन संख्या का प्रमाण. 17

7.2.1 क्यूँ एस.एम.एस.-अभियान के नीचे एक-जुट होना जनसेवक से कोई मांग करने का सबसे प्रभावशाली तरीका है. 17

7.2.2 `जनसेवक को भेजे गए एस.एम.एस.` का प्रमाण जनता को दिखाना क्यूँ जरुरी है. 18

7.2.3 `जनसेवक को एस-एम.एस.-अभियान` कैसे नागरिकों को एक-जुट करता है. 19

7.3  नेता के मन में जनता का डर 22

1. आज के कानूनों का एक सामान्य ढांचा और वर्तमान कानूनों का कैसे दुरुपयोग होता है -

 

 

सामान्य तौर पर, आज के कानून इस प्रकार हैं -  

 

`सी` श्रेणी के अफसर - ये सबसे नीचे स्तर पर होते हैं, सबसे अधिक होते हैं

इनके ऊपर `बी`श्रेणी के अफसर होते हैं - जो `सी` श्रेणी के अफसरों को अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने से रोकते हैं

 

और उनके ऊपर होते हैं `ए`श्रेणी के अफसर -जिनका काम होता है कि `बी` श्रेणी के अफसरों को अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने से रोकना

 

लेकिन, क्या यदि कोई भ्रष्ट कंपनी अफसर `ए` को रिश्वत दें या उनके साथ अन्य प्रकार से सांठ-गाँठ बना लें ?

 

और इससे बुरा, क्या यदि अफसर `ए` और `बी` आपस में ही सांठ-गाँठ बना लें और अपने नीचे के अनेक अफसर `सी` को दबा दें और उनको या तो दूसरी तरफ देखने के लिए मजबूर करें या उन्हें परेशान करें ?

 

=================

 

और आम नागरिक, जो ये सांठ-गाँठ के कारण लूटा जाता है, ये लूट और सांठ-गाँठ को रोकने के लिए कुछ नहीं कर सकता |

 

आज के कानूनों में ऐसा कोई भी प्रावधान या तरीका नहीं है, जिसका प्रयोग करके आम नागरिक, मतलब जिन व्यक्तियों के पास थोड़ा धन या कनेक्शन या कोई भी धन या कनेक्शन नहीं होता, वे उच्च स्तर के अफसरों के सांठ-गाँठ को रोकने के लिए कुछ नहीं कर सकते !!

 

यहाँ तक कि अफसर `ए` और अफसर `बी` के सांठ-गाँठ द्वारा आम-नागरिकों की दर्ज शिकायत या उनके द्वारा दिए गए सबूत भी दबा दी जाती है (फ़ाइल ही खो जाती है ; फ़ाइल जल जाती है या चूहे उसे खा जाते हैं आदि बहुत से तरीके होते हैं भ्रष्ट अफसरों के पास) | इसीलिए, आज के कानून भ्रष्ट और अनैतिक (बुरे) हैं |


आपको हमेशा ये प्रश्न पूछना चाहिए ये निर्णय करने के लिए कि कोई कानून ईमानदार है कि भ्रष्ट

 

एक आम नागरिक क्या कर सकता है उच्च अधिकारीयों को सांठ-गाँठ बनाने और कानून का दुरुपयोग करके जनता को लूटने से रोकने के लिए ?

2. ईमानदार और भ्रष्ट कानून -

 

अभी देखते हैं कि ईमानदार कानूनों के क्या लक्षण हैं ?

 

1. ईमानदार कानून आम-नागरिकों को अपनी राय देने का ऐसा तरीका देते हैं, जिसका उपयोग करने पर नागरिकों की दर्ज शिकायत, सबूत आदि को दबाया नहीं जा सकता |


इसका एक उदाहरण है प्रस्तावित पारदर्शी शिकायत-प्रस्ताव प्रणाली (टी.सी.पी. = ट्रांसपेरेंट कम्प्लेंट प्रोसीजर) - जहाँ कोई भी नागरिक, किसी भी दिन, कलेक्टर और अन्य सरकारी दफ्तरों जाकर, अपनी शिकायत, सबूत आदि को एफिडेविट के रूप में दर्ज करवा सकता है और उसे प्रधानमंत्री के वेबसाइट पर स्कैन करवा सकता है, ताकि सभी उसको बिना लॉग-इन किये, एफिडेविट का हर एक शब्द पढ़ सकते हैं |

नागरिकों की राय (समर्थन या विरोध) उनके वोटर आई.डी. के साथ वेबसाईट पर आएगी और कोई भी दूसरा नागरिक उस डाटा को आसानी से जांच सकता है कि ये डाटा सही है या गलत |

 

इस प्रावधान द्वारा नागरिक अफसरों को अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने से रोक सकते हैं | क्यूंकि नागरिक के इस अधिकार के होते हुए अफसर अपने अधिकारों का दुरुपयोग करेंगे, तो सबूत के साथ जनता में उनकी पोल खुल जायेगी |

 

2. ईमानदार कानून नागरिकों को उच्च और मध्य स्तर के सरकारी अफसरों को बदलने का अधिकार देते हैं, यदि अफसर सही से काम नहीं करें | मतलब निकम्मे अफसरों को आम-नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार | 

 

नागरिक अपने इस अधिकार द्वारा अफसरों के साथ-गाँठ को तोड़ सकते हैं और अफसरों को जनता को लूटने से रोक सकते हैं |

 

3. ईमानदार कानून आम-नागरिकों को अधिकार देते हैं कि वे अफसरों को सजा दे सकें यदि वे कानून का दुरुपयोग करके दूसरों को हानि पहुंचाएं |

 

इन सब लक्षणों के बिना, कानून भ्रष्ट और बेईमान हैं | 

 

कृपया कुछ ईमानदार कानूनों को www.prajaadhinbharat.wordpress.com में पढ़ें, विशेषकर चैप्टर 1,6,21,55 |

 

अभी बड़ा प्रश्न ये है - क्या आप जाने/अनजाने (आज के) भ्रष्ट कानूनों का समर्थन कर रहे हैं या उन्हें झेल रहे हैं और ईमानदार कानूनों को लाने या बढ़ावा करने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं ?

इस लिंक पर एक ईमानदार सिस्टम का डेमो देखें http://www.smstoneta.com/hindi/showcodes.php, जहाँ नागरिकों की राय उनके वोटर आई.डी. के साथ वेबसाईट पर दिखाई देती है, ताकि कोई भी दूसरा नागरिक उस डाटा को जांच कर सके और पता लगा सके कि वो डाटा सही है या गलत |

 

इस सिस्टम के लागू होने पर नेता या मीडिया जनता को झूठ नहीं बोल सकेंगे, बिना उनकी प्रमाण सहित पोल जनता में खुले |

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3. एक ईमानदार सिस्टम का एक डेमो

 

कृपया www.smstoneta.com/hindi/#aim पर जाएँ और टी.सी.पी.-डेमो वेबसाईट का उदेश्य जानें |

कृपया इस लिंक पर क्लिक करें - `सांसद को जनता के एस.एम.एस. - आदेश देखें` जो `पंजीकृत भाग` के नीचे दूसरा लिंक है |

इस सिस्टम में, कोई भी व्यक्ति अपने मोबाइल को एक्टिवेट या पंजीकृत करवा सकता है और सांसद के हेतु कोड-एस.एम.एस. भेज सकता है | कोड-एस.एम.एस. या नागरिकों की राय, उनके वोटर आई.डी के साथ सार्वजनिक दिखाई देती है | कम पढ़े-लिखे व्यक्ति 4 अंक का नंबर-वाला कोड-एस.एम.एस. भेज कर इस सिस्टम का आसानी से प्रयोग कर सकते हैं |

और नागरिक अपना कोड-एस.एम.एस. राय कभी भी आसानी से बदल सकते हैं | साईट पर पंजीकरण करने के बाद, नागरिकों की राय उनके वोटर आई.डी. के साथ आएगी और किसी भी अन्य नागरिक द्वारा वे राय जाँची जा सकती है |

आपको अपने मोबाइल से 08141277555 को केवल दो एस.एम.एस. भेजने हैं |  

1) पहले, आपको मोबाइल एक्टिवेशन एस.एम्.एस. भेजना है इस फोर्मेट में

 

*वोटर-आई.डी.-संख्या*

 

आप अपना 5 अंक का विधानसभा क्षेत्र कोड को इस लिंक से ढूँढ सकते हैं - http://www.smstoneta.com/hindi/sccode.php 

जिनके पास वोटर आई.डी. नहीं है, वे भी इस ईमानदार प्रक्रिया का डेमो देख सकते हैं, एक्टिवेशन एस.एम.एस में एक टेस्ट वोटर आई.डी. भेज कर और फिर उनका भेजा हुआ कोड-एस.एम.एस. अपंजीकृत भाग में दिखाई देगा |

उदाहरण के लिए

*abc1234567* 

जहाँ abc1234567 इस डेमो के लिए एक टेस्ट वोटर आई.डी. है |

एक मोबाइल को केवल एक ही वोटर आई.डी. के साथ जोड़ा जा सकता है |

एस.एम.एस. भेजने के 2-4 मिनट बाद, आप अपना मोबाइल नंबर सर्च बोक्स में डाल कर जांच सकते हैं कि आपका एस.एम.एस. सिस्टम में आया है कि नहीं | मोबाइल द्वारा भेजे गए एस.एम.एस का सर्च बोक्स होम पेज पर है - www.smstoneta.com/hindi

 

2) यदि आपके मोबाइल द्वारा भेजा सही फोर्मेट में एक्टिवेशन-एस.एम.एस. दूसरे टेबल (स्वीकृत एक्टिवेशन-एस.एम.एस) में आ जाता है, तो आपका मोबाइल एक्टिवेट हो गया है | फिर आप उस मोबाइल से इस लिंक में से कोई भी पजीकृत कोड-एस.एम.एस. चुन कर भेज सकते हैं http://smstoneta.com/hindi/showissue.php

 

उदाहरण, यदि आप 0041 एस.एम.एस. के रूप में भेज सकते हैं नेता जी की गुप्त फाइल को सार्वजानिक करने के अभियान को समर्थन करने के लिए | 

 

एस.एम.एस. भेजने के 2-4 मिनट के बाद, आपका एस.एम.एस. इस लिंक में दिखाई देगा

 

http://smstoneta.com/hindi/unregister-sms-opinion.php

 

(आपके मोबाइल के केवल अंतिम 5 अंक ही दिखाई देंगे ताकि आपने भेजे गए एस.एम.एस. को पहचान सकें ; हम कोई भी व्यक्तिगत जानकारी को सार्वजानिक नहीं करते हैं सिवाय वोटर आई.डी के)

और यदि वोटर अपना वोटर आई.डी. वाला एक्टिवेशन-एस.एम.एस. भेजने के बाद अपने वोटर आई.डी. की कॉपी और www.smstoneta.com/hindi/#procedure में बताये गए अन्य दस्तावेज support@smstoneta.com पर भेजें, तो उनके द्वारा भेजा गया कोड-एस.एम.एस. पंजीकृत पेज पर दिखाई देगा, उनके नाम और वोटर आई.डी और विधानसभा क्षेत्र नाम के साथ - http://smstoneta.com/hindi/showcodes.php

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4. आज का भ्रष्ट कोर्पोरेट-आधीन सिस्टम

 

-      मान लीजिए कि श्री `क` एक राज्य का एक ईमानदार मुख्यमंत्री है, जहाँ करोड़ों नागरिक रहते हैं |

 

-      मान लीजिए कि एक भ्रष्ट कंपनी का समूह या लॉबी (कोर्पोरेट) `एक्स` है और एक भ्रष्ट, बिकाऊ मीडिया `एम` है, जिसकी उस राज्य के करोड़ों लोगों तक पहुँच है |

 

-      अब, हालांकि श्री `क` ईमानदार हैं, वो और उसकी सहयोगी विधायक अपनी छवि (लोगों में अपने नाम) के लिए भ्रष्ट कंपनी-लॉबी और बिकाऊ मीडिया पर निर्भर हैं |

 

भ्रष्ट कंपनी-लॉबी का सांठ-गाँठ - भ्रष्ट वरिष्ट जजों, बिकाऊ मीडिया और समझौता किये हुए विधायक के साथ है |

 

इस सांठ-गाँठ के द्वारा, भ्रष्ट कम्पनियाँ मुख्यमंत्री को बुरे, जन-विरोधी कानून, जो उनके पक्ष में हैं, ऐसे कानूनों को पारित करने के लिए मजबूर करती हैं | भ्रष्ट कंपनी-लॉबी मुख्यमंत्री को धमकी दे सकती है कि यदि मुख्यमंत्री ने उनके फायदे वाले कानूनों को पारित नहीं किया, तो बिकाऊ मीडिया का प्रयोग करके मुख्यमंत्री के राज्य के नागरिकों में उसका नाम खराब कर दिया जायेगा और विधायक उस मुख्यमंत्री से अपना समर्थन वापस ले लेंगे |

 

आज के सिस्टम के अनुसार, नागरिक केवल विधायक या सांसद को को ही चुन सकते हैं और नागरिक विधायक या सांसद पर निर्भर हैं | क्यूंकि केवल विधायक या सांसद मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री को चुनते हैं, नागरिक मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री के लिए वोट नहीं दे सकते |

 

बिकाऊ मीडिया का प्रमाण -

 

केवल उन्हीं उम्मीदवारों का बिकाऊ मीडिया अधिक प्रचार करती है और उनके बारे में जनता को जानकारी देता है, जो भ्रष्ट कंपनी-लॉबी के भ्रष्ट रास्तों का विरोध करने वाले कानूनों का प्रचार नहीं करते | बिकाऊ मीडिया जनता को सभी उम्मीदवारों के बारे में जानकारी नहीं देता |

 

इसीलिए, मुख्यमंत्री और विधायक यदि ईमानदार भी हों, तो भी कई तरह से वे भ्रष्ट कंपनियों और लॉबीयों और उनके साथी भ्रष्ट जज, बिकाऊ मीडिया और भ्रष्ट विधायकों पर निर्भर होते हैं |

 

-      और मान लीजिए कि मुख्यमंत्री को एक वित्त मंत्री की नियुक्ति करनी है | मुख्यमंत्री को मजबूर किया जा सकता है ऐसे व्यक्ति को वित्त मंत्री नियुक्त करने के लिए, जो भ्रष्ट कंपनी-लॉबी के नजदीक हो | 

 

-      और नागरिक इस स्थिति को सुधारने के लिए कुछ भी नहीं कर सकते | वे समझौता किये हुए मुख्यमंत्री को मजबूर नहीं कर सकते कि वो सही निर्णय ले, सही कार्य करे, ताकि जनता और पूरे राज्य को लाभ मिले |  

 

-      ये आज की स्तिथि है |

 

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5. प्रजा अधीन सिस्टम (नागरिकों के प्रति सीधे जवाबदारी)

 

स्वामी दयानंद सरस्वती जी सत्यार्थ प्रकाश में कहते हैं "राजा (प्रशासक) प्रजा-अधीन होना चाहिए, नहीं तो वो नागरिकों को उसी तरह लूट लेगा जिस तरह से माँसाहारी पशु दूसरे पशु को खा जाते हैं | राजा यदि प्रजा-अधीन नहीं हुआ तो वो नागरिकों पर अन्याय पूर्ण कानून द्वारा उनको सजा या जुर्माना लगाकर नागरिकों को लूट लेगा और देश को बर्बाद कर देगा "

 

चलिए देखते हैं कि स्तिथि क्या होगी यदि नागरिक प्रजा-अधीन सिस्टम को लागू करवाने में सफल हो जाते हैं |

 

-      अब यदि एक पारदर्शी, किसी भी नागरिक द्वारा जांचा सकने वाला सिस्टम लागू है, जिसके द्वारा नागरिक अपनी राय दे सकता है जैसे टी.सी.पी. (जो पहले बताया गया था ; कृपया चैप्टर 1, www.prajaadhinbharat.wordpress.com भी देखें). 

-      फिर, कोई भी नागरिक, अपने इच्छानुसार कलेक्टर आदि के दफ्तर जाकर भावी उम्मीदवारों के बारे में जानकारी एफिडेविट दर्ज करके सबूत के साथ, दूसरे नागरिकों को जानकारी दे सकता है | और ये एफिडेविट सभी को, नागरिकों के वोटर आई.डी के साथ, बिना लॉग-इन के, प्रधानमंत्री वेबसाईट पर दिखेगी |

-      इस जानकारी के आधार पर, नागरिक एक आम नागरिकों द्वारा जांचा जा सकने वाला और राय देने के लिए लागू सिस्टम का उपयोग करके बता सकते हैं कि उनके अनुसार कौन सबसे अच्छा व्यक्ति होगा उस राज्य का वित्त मन्त्री बनने के लिए |

-      फिर, मुख्यमंत्री भी बिना बिकाऊ मीडिया के मदद के, दूसरे नागरिकों के साथ सीधे समपर्क कर सकता है और अपनी वित्त मंत्री के पसंद के बारे में नागरिकों को बता सकता है | इस तरह नागरिकों और मुख्यमंत्री के बीच में और एक नागरिक और दूसरे नागरिकों के बीच में एक स्वतंत्र संपर्क करने का साधन होगा और मुख्यमंत्री अंतिम निर्णय लेगा कि वित्त मंत्री कौन बनेगा | मुख्यमंत्री को बिकाऊ मीडिया पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा |

-      मुख्यमंत्री को नागरिकों को अच्छे कारण देकर राजी करना होगा कि उसने उस व्यक्ति को वित्त मंत्री क्यूँ बनाया है क्यूंकि मुख्यमंत्री नागरिकों के बदलने के अधिकार द्वारा नागरिकों के प्रति सीधे जवाबदार है |

 

तो इस प्रजा अधीन सिस्टम में, मुख्यमंत्री भ्रष्ट कंपनी-लॉबी के किसी भी दबाव में नहीं है, लेकिन उसको अपना कर्तव्य निभाकर जनता की जरूरतों को पूरा करना होता है |

हम, आम नागरिक भी ऐसा ईमानदार, पारदर्शी, आम नागरिकों द्वारा जांचा जा सकने वाला सिस्टम ला सकते हैं | हमें केवल 2 एस.एम.एस. करके ऐसे ईमानदार सिस्टम को बढ़ावा करना है और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए कहना है | कृपया अधिक जानकारी के लिए  www.smstoneta.com/hindi देखें |

पुरातन काल से प्रजा-अधीन सिस्टम का एक उदाहरण

राजा राम, जब अपने पिता के वचन को पूरा करने के लिए वनवास के लिए जा रहे थे, तब उन्हें अयोध्या के नागरिकों ने जाने से रोकना चाहा | नागरिकों ने कहा कि उन्होंने राम को राजा चुना है, ना कि भरत को और राम के वन जाने से नागरिकों को नुकसान होगा | लेकिन, राम ने नागरिकों को राजी किया ये कहकर कि भरत भी राम जितना ही अच्छा प्रशासक है और उसका वन जाना अपने धर्म और सबके धर्म की रक्षा के लिए जरूरी है |
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6. भा.ज.पा., आप. पार्टी, कांग्रेस और अन्य पार्टियां ऐसे सिस्टम की विस्तृत जानकारी का बढ़ावा क्यूँ नहीं करतीं ?

 

क्यूंकि इन लोगों को अपने प्रचार के लिए भ्रष्ट कंपनियों द्वारा प्रायोजित बिकाऊ मीडिया की जरूरत है | यदि ये नाम-भ्रष्ट नेता ऐसे सिस्टम को लागू करते हैं या इसको बढ़ावा भी करते हैं, तो फिर भ्रष्ट कम्पनियाँ बिकाऊ मीडिया को इनके प्रचार के लिए पैसा नहीं देंगे |

अनेक कार्यकर्ताओं ने केजरीवाल, मोदी समेत कई पार्टियों को इन जनहित प्रक्रियाओं पर अपना रुख रखने के लिए कहा था | लेकिन, इन नेताओं ने कार्यकर्ताओं की चिट्ठियों का जवाब देने से इनकार कर दिया, यहाँ तक कि अच्छे, जनहित प्रक्रियाओं पर चर्चा होने के लिए भी मना कर दिया गया | यदि आपको हम पर विश्वास नहीं है, तो आप कृपया इन नेताओं से पूछें और सबको बताएं कि आपको क्या जवाब या ख़ामोशी मिलती है |

हर कोई अपने फायदे-नुकसान के बारे में सोचता है | अधिकतर नेता, चाहे वो मोदी हो या केजरीवाल या कोई और नेता, अपने फायदे-नुकसान के बारे में सोचते हैं | 

अब, मुख्य मुद्दा ये है कि आम-नागरिकों को एक होकर एक ईमानदार सिस्टम को लाना चाहिए, जिससे सभी को लाभ हो |

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7. जनता की कोई भी मांग को लागू करने के लिए, तीन तत्वों की जरुरत है -

 

जनसेवकों को एस.एम.एस. भेजने का क्या लाभ होगा ? क्या जनसेवक एस.एम.एस. को पढ़ेंगे या उसपर कोई कार्य करेंगे, आप ये पूछते हैं |

देखिये, जनसेवक को एस.एम.एस. भेजने का कोई परिणाम आएगा या नहीं, इसपर निर्भर करता है कि एस.एम.एस. भेजने वाले व्यक्ति की संख्या कितनी है और एस.एम.एस. भेजने वाले तरीके से ये साबित होता है कि नहीं कि कितने लोगों ने उस मांग की विरोध या समर्थन करने के लिए एस.एम.एस. भेजा |

यदि हर दूसरा व्यक्ति इस मांग को करता है या एस.एम.एस. भेजने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक है, तो फिर मांग करने के और एस.एम.एस. भेजने के कम प्रभावशाली तरीकों से भी, अच्छे परिणाम आ सकते हैं |

लेकिन यदि मांग करने वालों की संख्या कम है, तो फिर मांग करने का तरीका प्रभावशाली होना चाहिए और किसी भी नागरिक द्वारा जांचा जा सके, ऐसा होना चाहिए | मांग करने का सबसे प्रभावशाली तरीका है कि मांग को एस.एम.एस. द्वारा भेजा जाये और वो एस.एम.एस. वोटर आई.डी के साथ जनसेवक की वेबसाइट पर दिखे या कोई अन्य सर्वर पर दिखे, ताकि कोई भी अन्य नागरिक उस डाटा को जांच कर सके |

और किसी भी पब्लिक मांग को पूरी करवाने के लिए, नागरिकों को जनसेवक को अहसास दिलाना होगा कि यदि वो मांग पूरी नहीं की गयी, तो जनसेवक को भारी नुकसान होगा | मतलब कि जनसेवकों के मन में जनता का डर होना चाहिए |

एस.एम.एस.-अभियान के कारण आम-नागरिकों के लिए जनसेवकों तक पहुंचना संभव हुआ है और ये कई बार साबित हो चूका है कि ये तरीका काम करता है |

हाल ही का एक उदाहरण देखिये कि कैसे कर्नाटका में बेल्थांगडी तालुक के गावों के लोगों ने अफसरों को मजबूर कर दिया कि उनके घरों तक बिजली पहुंचाई जाये, जो उनका अधिकार भी था , ये लिंक देखिये -

http://www.thehindu.com/todays-paper/daari-shows-why-nagging-works-with-govt-officials/article5712368.ece


कोई भी जनता की मांग को लागू करवाने के लिए तीन तत्वों की आवश्यकता होती है
-

7.1   पहला तत्व - जनता की स्पष्ट मांग

7.2   दूसरा तत्व - जनसमर्थन संख्या का प्रमाण

7.3    तीसरा तत्व - नेता के मन में जनता का डर


आईये, देखते हैं कि कोई भी जनता की मांग पूरी करने के लिए पहला आवश्यक तत्व है -

7.1  जनता की स्पष्ट मांग

 

बिना स्पष्ट मांगों के विरोध-प्रदर्शन करना व्यर्थ है और उसका उल्टा असर पड़ सकता है | कैसे ? उदाहरण, यदि आपने मांग की थी- "मजबूत भ्रष्टाचार विरोधी कानून लाओ" पर उसका ड्राफ्ट आपने नहीं दिया, तब सत्ता में आने पर नेता ऐसा कमियों वाला कानून बना सकते हैं, जो धनी या प्रभावशाली अपराधियों को आपस में सांठ-गाँठ बना कर सजा से बचने का अवसर दे | और आम-नागरिक इस कमियों वाले कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए कुछ नहीं कर सकते हैं क्यूंकि ये कमियों वाले कानून आम-नागरिकों को ऐसे सांठ-गाँठ रोकने का कोई भी अधिकार नहीं देते |

कोई भी जनता की मांग को पूरा करने के लिए अगला तत्व है -

7.2 जनसमर्थन संख्या का प्रमाण

 

7.2.1 क्यूँ एस.एम.एस.-अभियान के नीचे एक-जुट होना जनसेवक से कोई मांग करने का सबसे प्रभावशाली तरीका है -

1.  विरोध प्रदर्शन के लिए अथवा किसी मुद्दे पर अपनी माँग रखने के लिए आजकल जो अभियान चलाए जाते हैं जैसे कि अर्जी देना, हस्ताक्षर एकत्र करना, पत्र भेजना, अनशन-धरना आदि, इन सबमें भाग लेने वाले समर्थकों की संख्या को प्रमाणित करना संभव नहीं हो पाता | तथा समर्थकों की संख्या के प्रमाण के बिना सरकार पर उचित दवाब नहीं पड़ता |

2.  जनसेवकों के लिए एस.एम.एस-आदेश '- के इस अभियान से किसी भी विशेष मुद्दे पर उसे समर्थन देने वालों की संख्या सिद्ध करना संभव होगा क्योंकि एस.एम.एस. को वोटर आई.डी. के साथ जोड़ दिया जाएगा ; साथ ही अभियान का यह तरीका अन्य तरीकों की तुलना में अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय है | अत: हम एस.एम.एस. अभियान को एक बीच का टी.सी.पी. का तरीका मानते हैं, क्यूंकि इसमें टी.सी.पी. या पारदर्शी शिकायत-प्रस्ताव प्रणाली के कई लक्षण हैं और ये एस.एम.एस. के साथ टी.सी.पी. कैसे काम करेगा, इसका अच्छा आइडिया (या अनुमान) देता है और ये टी.सी.पी. को लागू करवाने में मदद करेगा |

3.  यही कारण है कि हम इस बात पर जोर देते हैं कि अन्य आंदोलन के तरीकों के साथ-साथ लोग एस.एम.एस. के द्वारा अपने सांसदों / विधायकों को कुछ लाइन के आदेश भेजने में भी अपना 5 से 10 मिनट लगाएँ |

इसके अलावा, उसी एस.एम.एस. के द्वारा हम सांसद, प्रधानमंत्री से यह भी कहें कि वे अपने पब्लिक मोबाईल को उनकी वेबसाइट से भी जोड़ें ताकि लोग जो एस.एम.एस उन्हें भेजें वे एस.एम.एस., वोटर आई.डी. के साथ जनसेवक की वेबसाईट पर अपने आप जायें और सभी लोग जनता की राय को देख सकें |

इसलिए, जब तक हम आम नागरिक स्पष्ट एवं प्रामाणिक तरीके से जनसेवकों को यह नहीं बताते हैं कि हम उनसे वास्तव में क्या चाहते हैं और क्या नहीं चाहते हैं, तब तक उन्हें तथा अन्य नागरिकों को इसका पता कैसे चलेगा ?
बिना नागरिकों के मांग किये, क्या जनसेवक नागरिकों का मन पढ़ सकते हैं ?

7.2.2 `जनसेवक को भेजे गए एस.एम.एस.` का प्रमाण जनता को दिखाना क्यूँ जरुरी है

1.  जनसेवक को इस प्रकार के एस.एम.एस. भेजने के अलावा, लोगों को चाहिए कि अपने भेजे हुए एस.एम.एस.-आदेश जनता को दिखाएँ | इसके लिए, वे इन एस.एम.एस. को वोटर आई.डी.के साथ www.smstoneta.com/hindi पर रजिस्टर्ड (पंजीकृत) कोड के रूप में दोबारा भेज सकते हैं अथवा फेसबुक के वॉल-नोट के रूप में दर्शा सकते हैं या इंटरनेट पर कहीं भी अपलोड करके उसका लिंक शेयर कर सकते हैं | जिन लोगों के पास इंटरनेट नहीं है वे इन भेजे गए एस.एम.एस.-ऑर्डर के बारे में मीटिंग, पर्चों अथवा किसी भी अन्य सुविधाजनक तरीके से लोगों को जानकारी दे सकते हैं |

2.  एस.एम.एस.-ऑर्डर भेजने में तथा लोगों को इसके बारे में बताने में केवल 5 से 10 मिनट लगेंगे तथा कुछ पैसे खर्च होंगे | यह कार्य करोड़ों लोग आसानी से कर सकते हैं | परंतु यदि किसी लोक-सभा क्षेत्र में मात्र 5000 से 10000 (1%) लोग भी इस कार्य को करते हैं तथा यदि वहाँ का सांसद इस पर कोई भी जवाब नहीं देता अथवा कोई संतोषजनक जवाब नहीं देता है तो उसे लोगों के सामने सबूत के साथ बेनकाब किया जा सकता है | यही नहीं भविष्य में आने वाले सांसद पर भी लोगों की इस प्रामाणिक माँग को पूरा करने का दवाब पड़ेगा |

3.  इस तरह से हमें अपने संवैधानिक कर्तव्य पूरा करने चाहिए | हम अगले पाँच साल तक क्यों इंतजार करें? हम पाँच सालों तक क्यों सोते रहें या पाँच सालों तक क्यों रोते रहें और क्यों पाँच सालों में सिर्फ एक दिन के लिए ही जागृत हों ? यह कोई लोकतंत्र नहीं है |

और यदि कोई जनसेवक हजारों नागरिकों की बात नहीं सुनता है, तो हमें चाहिए कि हम उस जनसेवक को जनता के सामने सबूतों के साथ बेनकाब करें तथा उसे पाँच सालों तक सहने की बजाय किसी भी दिन उसकी जगह किसी अच्छे व्यक्ति को ले आएँ |

7.2.3 `जनसेवक को एस-एम.एस.-अभियान` कैसे नागरिकों को एक-जुट करता है

1. आज हम लोग विभिन्न दलों, धर्मों, जातियों, वर्गों, मुद्दों आदि द्वारा बँटे हुए हैं | आओ, हम सब अपने दलों आदि को छोड़े बिना `सांसदों/विधायकों आदि जनसेवकों को एस.एम.एस.` अभियान  में एकजुट हो जाएँ |

आओ, हम सब अकेले ही या समूहों में मिलकर कुछ ऐसा करें जिससे आम लोगों को लाभ मिले साथ ही सभी नागरिक उन बुराइयों और भ्रष्ट ताकतों के विरुद्ध एकजुट हो सकें जो आम लोगों को लूटना चाहते हैं |

कैसे ?

अपनी प्रिय माँगों के लिए एस.एम.एस.-ऑर्डर भेजने के अलावा, यह एस.एम.एस.-ऑर्डर भी भेजें कि सांसदों का पब्लिक मोबाइल नंबर सांसदों की वेबसाईट से लिंक किया जाए ताकि एस.एम.एस. के द्वारा सांसद को भेजी गई लोगों की राय को सभी लोगों के द्वारा देखा जा सके और उसे सत्यापित किया (जांचा) जा सके | यह सार्वजनिक माँग करके हम सभी नागरिक एक साझा मंच पर आ सकते हैं तथा एक जुट हो सकते हैं |

2.  `जनसेवक को एस.एम.एस.-आदेश` प्रचार-तरीका के अधीन कार्य एक दूसरे को बढ़ाते हैं, जबकि दूसरे प्रचार तरीकों में अधिकतर कार्य एक दूसरे को काटते हैं

उदाहरण - मान लीजिए, कुछ नागरिक अपने जनसेवक को एस.एम.एस.-आदेश भेजते हैं कि इस कानून को रद्द करो | और अन्य नागरिक उसी जनसेवक को एस.एम.एस-आदेश भेजते हैं कि उस कानून को जारी रहना चाहिए | दोनों ही श्रेणी के नागरिक जनसेवक को एस.एम.एस. में ये भी आदेश देते हैं कि वो अपने पब्लिक मोबाइल को अपने वेबसाईट के साथ जोड़े ताकि भेजे गए एस.एम.एस.-आदेश नागरिकों के वोटर आई.डी. के साथ, अपने आप जनसेवक के वेबसाईट पर प्रकाशित हों, ताकि सभी नागरिकों को प्रामाणिक रूप से पता चले कि जनता की क्या राय है |

नागरिक इस डाटा की जांच कर सकते हैं कि ये सही है या गलत |

फिर, ये एक दूसरे के विपरीत लगने वाले कार्य जनता के लिए एक पारदर्शी और प्रामाणिक राय देने और जानने की प्रक्रिया को बढ़ावा कर रहे हैं | इस प्रकार, `जनसेवक को एस.एम.एस.-आदेश` के अधीन कार्य एक दूसरे को काटते नहीं, परन्तु बढ़ाते ही हैं | जबकि दूसरे अभियान तरीकों में नागरिकों के अधिकतर कार्य एक दूसरे को काटते हैं |

3. जनसेवक को आपके द्वारा भेजे गए एस.एम.एस. का पूरे प्रभाव आये, इसके लिए कृपया अपने एस.एम.एस. को smstoneta.com साईट पर या अन्य इसी प्रकार की साईट पर अपना वोटर आई.डी. पंजीकृत करके उस विषय का कोड-एस.एम.एस. भेजें -

अपने सांसद को एस.एम.एस. भेजने के साथ-साथ अच्छा होगा कि यदि आप www.smstoneta.com/hindi पर या अन्य इसी प्रकार की साईट पर अपने वोटर आई.डी तथा मोबाईल के साथ रजिस्टर कर दें ताकि आप अपने एस.एम.एस. को एक कोड के रूप में इस साइट पर दोबारा भेज सकें तथा आपका एस.एम.एस. आपके वोटर आई.डी के साथ पब्लिक जगह में आ सके तथा इसका पूरा प्रभाव पड़ सके |साइट पर रजिस्टर कैसे करें तथा एस.एम.एस. कैसे भेजें यह जानने के लिए कृपया www.smstoneta.com/hindi साईट को देखें |

साथ ही, इस बात का एक और प्रमाण देखने के लिए कि सांसदों, विधायकों तथा पार्षदों को भेजे जाने वाले एस.एम.एस.-ऑर्डर काम करते हैं, इस वीडियो को देखें - http://www.youtube.com/watch?v=ALTiEKXrPl8


अभी तक, हमने देखा कि कोई भी जनता की मांग पूरी करने के लिए 2 जरुरी तत्व हैं ; पहला तत्व है स्पष्ट मांग और दूसरी तत्व है जनसमर्थन संख्या का प्रमाण |

अभी हम जनता की कोई भी मांग पूरा करने के लिए जरुरी तीसरे तत्व की बात करेंगे, वो है

 

7.3  नेता के मन में जनता का डर

 

नेता को ये अहसास दिलाना होगा कि यदि वो जनता की मांग को पूरा ना करे तो उसका नुकसान होगा |

आईये इन तीन तत्व, जो किसी भी जनता की मांग को पूरा करने के लिए जरुरी हैं, इन्हें एक उदाहरण के द्वारा समझते हैं |

-      1977 की आपातकाल-विरोधी जनांदोलन में स्पष्ट मांग थी कि आपातकाल को समाप्त करो | लेकिन उस समय की सरकार नहीं चाहती थी कि आपातकाल जल्दी समाप्त हो | तो उस समय, सरकार  ने जनांदोलन के मुख्य नेताओं को जेल में बंद करवा दिया ताकि आंदोलन ठप हो जाये परन्तु नेताओं के स्थान पर कार्यकर्ताओं ने आंदोलन को संभाला |

-      फिर, सरकार ने मुख्य-मुख्य कार्यकर्ताओं को भी जेल में बंद करना शुरू किया | लेकिन उस समय, लाखों कार्यकर्त्ता थे जो स्वतंत्र रूप से हाथ से पर्चे छाप कर, जनता में बाँट कर, आंदोलन को आगे बढ़ाना जानते थे | तो जब एक कार्यकर्त्ता जेल में जाता, तो दो और उसके स्थान पर खड़े हो जाते | ऐसी स्थिति आई कि जेल टूटने की स्थिति हो गयी और नेता डरने लगे और अंत में दबाव में सरकार को आपात-काल समाप्त करना पड़ा | (ये जनसमर्थन संख्या का एक अप्रत्यक्ष प्रमाण था)

-      इससे सरकार पर बहुत दबाव पड़ा और सरकार को मजबूरी में आपातकाल समाप्त करना पड़ा |

इस उदाहरण में आप देख सकते हैं कि सकारात्मक व्यवस्था परिवर्तन और सफल जनांदोलन के लिए सभी तीन तत्व मौजूद थे | इस प्रकार और भी बहुत सारे उदाहरण हैं और आप पायेंगे कि इतिहास में कोई भी जनता का आंदोलन या प्रयास इन तीन तत्वों के बिना सफल नहीं हुआ |

इसीलिए, कृपया देश की एकता और सम्पन्नता के लिए केवल 2 एस.एम.एस. भेजें www.smstoneta.com/hindi  (08141277555) पर या इस प्रकार की दूसरी साईट पर | और वोटर आई.डी. और मोबाइल बिल की कोपी (पोस्ट-पेड मोबाइल वालों के लिए) और एफिडेविट (प्री-पेड मोबाइल वालों के लिए) support@smstoneta.com को भेजें |

एक उम्मीदवार को नागरिकों के लिए पब्लिक एस.एम.एस. सर्वर बनाने के लिए कुछ ही दिन लगेंगे, ताकि पंजीकृत नागरिकों की राय उनके वोटर आई.डी. के साथ उम्मीदवार की वेबसाईट पर आ सके और वो राय किसी भी अन्य नागरिक द्वारा आसानी से जांच की जा सकती है | 

इसीलिए कृपया अपने विधान सभा क्षेत्र या लोकसभा क्षेत्र में सभी उम्मीदवारों से बोलें कि वे तुरंत नागरिकों के एस.एम.एस. के लिए ऐसा पब्लिक एस.एम.एस. सर्वर बनाएँ, ताकि सत्ता में आने के बाद यदि बहुमत मतदाता पारदर्शी और नागरिकों द्वारा जांचे जा सकने वाले तरीके से कहें कि वे अच्छा काम नहीं कर रहे हैं, तो वे जनसेवक अपने पद को छोड़ दें |

यदि कोई भी उम्मीदवार जनता के लिए ऐसा एस.एम.एस. सर्वर ना बनाये, तो आपको नोटा (इनमें से कोई नहीं) का विकल्प चुनना चाहिए और चुनाव आयोग से मांग करनी चाहिए कि नोटा के वोट को पूरी तरह से मान्य किया जाये |

 

कौनसे दस्तावेज भेजने हैं, इसकी अधिक जानकारी के लिए कृपया ये लिंक देखें - http://www.smstoneta.com/hindi/#procedure

अधिक चर्चा के लिए, कृपया हमारे फेसबुक ग्रुप पर रजिस्टर करें और पोस्ट करें - www.facebook.com/groups/rrgindia

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